Saturday, December 17, 2016

One Truth of Ramayana (Ramayan ka ek sach)


Ramayan ke baare me lagbhag har ek insaan ko pataa hai.Lekin jinhone sirf serials yaa filme dekhi hai unhe ramayan ka pura sach nahi pata,kyoki serials aur filmo me sirf aapko ram,lakshman ,bharat aur shatrughan dashrath ji ke in chaar beto ke hi bare me bataayaa jaata hai lekin dashrat ji ki ek putri (daughter) bhi thi aur wo ram ji se badi(elder)  thi jinka naam Shanta tha lekin inke baare me aapko serials ya filmo dekhane yaa sunne ko nahi milega.Jinhone ramayan puri aur achchhi tarah se padhi hai unhe hi yeh baat pata hogi.
         
                             Jai shri ram

Friday, November 18, 2016

Jab tanhai me aapki yaad aati hai......

    JAB TANHAI ME AAPKI YAAD AATI..

Jab tanhai me aapki yaad aati hai,
Hontho par ek hi fariyaad aati hai,
Khuda aapko har khushi de kyoki,
Aaj bhi hamaari har khushi aapke baad aati hai.

Wednesday, November 16, 2016

Dog bite and Its Treatment

कुत्ते का काटना और उसका उपचार( dog bite and its treatment)

      आज के समय में व्यक्ति जितना चोट लगने से नहीं डरता जितना की वह कुत्ते के काटने से डरता है।चोट तो सिर्फ़ धन को छिनेगा परन्तु कुत्ते के काटने से कई बार मरने तक की नौबत आ जाती हैं।

कुत्ते के काटने का उपचार 

  1. किसी रुमाल या साफ़ कपड़े से उस स्थान से कुत्ते की थूक आदि साफ़ कर दे।
  2. ऐसे कपड़े या रुमाल को फिर इस्तेमाल न करे और न ही कुत्ते के थूक को हाथ लगाने का पर्यत्न करे।
  3. ऐसे घाव को पानी और साबुन से खूब धोए ताकि कुत्ते के काटने का असर कम हो जाए।
  4. घाव पर साफ़ किटाणुरहित पट्टी बांध दे।
  5. कुत्ते के विषय मेंं जानकारी पराप्त करेंं कि क्या वह पालतू कुत्ता था या फिर आवारा। यदि वह कुत्ता पालतू था तो इतना घबराने की कोई आवश्यकता नहीं हैं। 
  6. यदि कुत्ता आवारा हैं तो किसी अस्पताल या स्थानीय औषधालय से  कुत्ते काटने का टीका अवश्य लगवाले।
याद रहे ये घरेलू नुस्खे थे पर डॉक्टर को दिखाना न भूले

Friday, November 4, 2016

जानिऐ कौन हैं लंका का असली मालिक


बहुत कम लोगो को ही ये बात पता होगी की लंका असल में थी किसकी। सभी लोग यही जानते है कि लंका रावण की थी।लेकिन असल में लंका के मालिक शिवजी थे। जिन्होने लंका अपने लिये बनवाये थे। लेकिन उसमे रहे नहीं। क्योकि लंका को कुबेर जी ने शिवजी से वर्दान में माँग लिये थे। और शिवजी ने लंका कुबेर जी को दे दिया था।इस तरह कुबेर ने लंका को पाया था।लेकिन रावण असल मेंं कुबेर जी का रिश्ते में सौतेला भाई था।ऐ बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे ।और रावण ने कुबेर से लंका छिन लिया था। इसलिए लंका का राजा रावण कहलाया था।



                             बम बम भोले

Thursday, October 20, 2016

मनाव शरीर के रहस्य


  1. मनुष्य का पेट हर दो हफ़्ते में  बलगम की एक नई परत बनाता है और खुद ही पचा जाता है।
  2. मनुष्य के जंघा की माँसपेशिया कंकिरीत से ज़्यादा ताक़तवर होती है।
  3. सिर्फ़ एक घंटा हेडफोन लगाने से हमारे कानो में जीवाणुवो की संख्या 700 गुना बड़ जाती है।
  4. मनुष्य के शरीर की लगभग 25% हड्डियाँ उनके पैरो में होती है।
  5. किस करने से ज़्यादा हाथ मिलाने से कीताणु एक हाथ से दुसरे हाथ पर जाते है।
  6. हमारी आँख एक मिनट मे तकरिबन 25 बार झपकती है।
  7. पूरे संसार की 7 अरब की आबादी में सिर्फ़ 4 लोग ही ऐसे है जो कि 116 से अधिक की उम्र जी रहे है।
  8. अगर कोई भी मनुष्य ज़ोर से छीकेगा तो वो अपनी पसली तुड़वा सकता है।
  9. हम अपना 33% सिर्फ़ सोते हुए बिता देते है।
  10.   90% लोग सुबह उठने के लिए अलार्म का उपयोग करते है।
  11. हम बोलते समय 72 क़िस्म की भिन्न -भिन्न माँसपेशियो का प्रयोग करते है।
  12. हर रोज़ लगभग 9% लोग अपना नाश्ता नही करते।
  13. हमारे शरीर के एक इंच वर्ग के छेत्र में 3 करोड़ 20 लाख बैक्टीरिया होते है।
  14. इंसान का दिल एक दिन में लगभग 1,00,000 बार धड़कता है।
  15. मनुष्य के शरीर में सबसे ताक़तवर माँसपेशी उसकी जीभ होती है।
  16. लगभग हर वर्ष 2,500 लेफ्ट हैंडेड लोग ऐसे उपकरणो के इस्तमाल करने से मर जाते है जो राईट हैंडेड लोगो के लिए बना होता है।
  17.  45% लोग हर रोज़ माउथवास (बुरुस) करते है।
  18. हर मनुष्य अपने जीवन में लगभग 60,500 लीटर पानी पी जाता है।
  19. एक इंसान अपने जीवन में तकरीबन 27,000 किलोगराम तक भोजन खा जाता है जो कि हाथियो के वज़न के बराबर होता है।
  20. लगभग 20 लाख मरने वाले लोगो में से एक की मौत बेड (बिस्तर) से नीचे गिरने से होता है।
  21. इंसान के दाँँत चट्टानो जितने कठोर होते है।
  22. लगभग एक मनुष्य किबोर्ड से टाइप करते समय अपने लेफ्ट हैंड का 56% इस्तेमाल करता है।
  23. 4लोग प्रतिवर्ष पेंट बदलते समय अपनी जान गँवा बैठते है।
  24. छींकते समय आँखे खुली रख पाना नामुमकिन है।
  25. छींकते समय दिल की गति एक मिली सेकेंड के लिए रुक जाती है।
  26. ऊगलियो के नाखून पैरो के नाखूनो से ज़्यादा जल्दी बढ़ते है।

Wednesday, October 19, 2016

14साल मे एक बार भी नही सोऐ थे लछमन

भाई हो तो लछमन जैसा । लछमन जी एक ऐसे भाई थे जिन्होने अपने भईया भाभी की सेवा करने के अपनी पत्नी को छोड़ उनकी सेवा करने के लिऐ उनके साथ 14 साल का बनवास काटने चले गये थे। इस 14 साल के बनवास मे लछमन जी चाहे रात हो या दिन एक दिन भी नही सोऐ थे । क्योकि लछमन जी को निद्रा की देवी से वरदान मिला था।कि उन्हे 14 साल तक निंद ना आऐ ताकी वो अपने बड़े भाई राम और सीता जी की सेवा हर समय हर पल कर सके

                                      जय श्री राम

रावण के दस सिर का राज


रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था।रावण एक बार भगवान शिव की तपस्या कर रहा था। तपस्या करते समय रावण ने अपने सिर की बली भगवान शिव को दे दी। रावण का प्रेम भाव और भक्ति देख भगवान शिव बहुत परसन्न हुए और रावण को उसका सिर वापस कर दिया । रावण ने फ़िर अपने सिर की बलि दे दी ।शिवजी ने फिर उसका सिर वापस कर दिया । ऐसे ही रावण बार-बार अपने सिर की बलि देता गया और शिवजी हर बार उसका सिर वापस कर देते। ऐसा रावण ने 10बार किया ये देख भगवान शिव रावण की भक्ति से बहुत परसन्न हुऐ।और रावण को 10सिर वापस कर दिया।इस तरह रावण को दस सिर मिले और वह दसानन्द कहलाया।

Mimicry boy

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Monday, October 3, 2016

हनुमानजी का नाम बजरंगबली कैसे पड़ा


एक बार माता सीता अपने माथे पर सिंदूर लगा रही थी,तभी हनुमान जी वहा आते है और माता से पूछते है|माते आप आप अपने माथे पर सिंदूर क्यो लगाती है|मै आपको रोज देखता हुँ आप ये सिंदूर अपने माथे पर लगाती है|तो माता सीता हनुमान जी से कहती है|ये सिंदूर लगाने से स्वामी की उमर लम्बी होती hha,और वो हर कस्ट से मुक्त रहते है|ये सुन कर प्रभु राम भक्त हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया ताकी उनके स्वामी प्रभु राम की उमर लम्बी हो,और वो हमेसा सुरक्षित रहे.सिंदूर को हिन्दी मे बजरंग कहा जाता है ,इसलिये उनका नाम बजरंगबली पड़ गया |


                        ( जय श्री राम )

Sunday, October 2, 2016

भगवान के धरती पर होने के सबूत


लोग हमेसा यही जानना  चाहते है कि भगवान है या नही |
है तो कहा है|
भगवान भले ही किसी को दिखाई ना दे,लेकिन भगवान के 
धरती पे होने के सबूत समय-समय पर लोगो के सामने आते रहते है ,कि भगवान आज भी पृथ्वी पर मौजूद है |भगवान के होने के कुछ बाते आप नीचे पढकर जान सकते है ,कि भगवान है|
  1. 'मैहर माता ' के मंदिर मे आल्हा आज भी रात को वहा आते hai|
  2. केदारनाथ मंदिर ' इतने बडे हादसे के बावजूद इस मंदिर का बाल भी बांका ना होना|
  3. पुरी दुनिया मे सिर्फ ' रामसेतु ' के ही ऐसे पत्थर है ,जो पानी मे तैरते है|
  4. ' पुरी के मंदिर ' के ऊपर से किसी भी विमान या किसी भी पक्षी का ना निकलना|
  5. ' भैरोनाथ ' उज्जैन के एक मंदिर मे मदिरा पीना|
  6. गंगा और नर्मदा माँ  के पानी का कभी खराब ना होना|
  7. '' रामेश्वरम धाम '' मे समुन्द्र का कभी उफान ना मारना|
  8. '' अमरनाथ '' मे शिवलिन्ग का अपने आप बनना |
  9. '' तनोट माता का मंदिर '' जो की सीमा पर स्थित है ,उस मंदिर मे 3000 बमो मे से एक का भी ना फुटना|
  10. '' माँ ज्वाला जी '' के मंदिर मे ज्वाला का हमेसा जलते रहना|

                                प्रेम से बोलो 
                                जय माता दी 

Saturday, October 1, 2016

माता दुर्गा के नव रुप के बारे मे जाने

नवरात्र के पावन दिनो मे माँ के नव रुपो की पूजा की जातीहै |
आईये हम आपको माता के नव रुपो के बारे मे बताते है |




  1. प्रथम शैलपुत्री माता 
    
  शरदीय नवरात्र की प्रथम शक्ति शैलपुत्री है|सती जन्म मे राजा दक्ष प्रजापती की पुत्री थी|सती का ही दूसरा स्वरुप पार्वती या शैलपुत्री का है|पर्वतराज की पुत्री होने के कारण ही माँ दुर्गा के प्रथम रुप का नाम शैलपुत्री पड़ा|कठोर तप के बाद भगवान शंकर से इनका विवाह हुआ|शैलपुत्री ही शिवान्गी है|इन्हे सौभाग्य ,प्रकृति और आयु की देवी माना जाता है|

माता शैलपुत्री को लाल पुष्प ,नारियल ,श्रिन्गार सामग्री व गौ घी अर्पित करने से आरोग्य व सौभाग्य का फल प्राप्त होता है|

माँ शैलपुत्री आराधना मंत्र :
या देवी सर्वभुतेषू प्रकृति रूपेण संस्थिता ,नमस्तसयै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

2.द्वितिय ब्रहम्चारिनी
 |
 शरदीय नवरात्र मे माँ दुर्गा के दूसरे स्वरुप माता ब्रह्म्चारिनी की आराधना होती है|ब्रह्माजी की शक्ति होने से माँ का यह स्वरुप ब्रह्म्चारिनी नाम से लोक प्रसिद्ध हुआ| इनका उद्भव ब्रह्माजी के कमन्डल से माना जाता है|ब्रह्माजी सरिश्टी के रचईता है|ब्रह्मचारिनी उनकी शक्ति है|जब मानस पुत्रो से सरिश्टी का विस्तार नही हो सका तो ब्रह्माजी का इसी शक्ति ने विस्तार किया | इसी कारण  स्त्री को सरिश्टी का कारक माना गया |
ब्राह्मचारिनी देवी माँ  ज्ञान ,वैराग्या और ध्यान की अधिठास्त्री है | इनके एक हाथ मे कमंडल और दूसरे हाथ मे रुद्राक्ष की माला है |करमाला,स्फटिक और ध्यान योग्य नवरात्र की दूसरी अधिश्ठापन शक्ति है |

माता ब्राह्मचारिनी का उपासना मंत्र :
या देवी सर्वभुतेषू शृश्टी रुपेण संस्थिता नमस्तस्यै नम्स्तस्यै नम्सतस्यै नमो नम:|



3.तृतीय माता चन्द्रघन्टा

शरदीय नवरात्र मे माँ दुर्गा के तीसरे स्वरुप माता चन्द्रघन्टा की पूजा-अर्चना होती है |माँ चन्द्रघन्टा के सिर पर चंद्र और हस्त मे घंटा है |आह्वान ,संकल्प और नाद के रुप मे आराध्य यह देवी सरस्वती का रूप है |देवासुर सन्ग्राम मे देवी ने घंटे की नाद से अनेकानेक असुरो का दमन किया |ऐसा शोर और नाद हुआ की असुर काल के ग्रास बन गऐ|चन्द्रघन्टा देवी इसी नाद की आराध्या शक्ति है |चंद्रमा शांति का प्रतिक है और घंटा नाद का |माँ चंद्रघंटा नाद के साथ शांति का संदेश देती है |देवी की आराधना मे नाद पर विशेस ध्यान दिया गया है |वादन और गायन दोनो ही नाद के प्रतीक है |

इनकी आराधना के लिये सिद्धकुंजिका स्त्रोत्रम का पाठ मंगल फलदाई है|


4.चतुर्थ माता कुष्मामान्डा
नवरात्रो मे माँ दुर्गा के  चौथे स्वरुप माँ कुश्मान्डा की पूजा-अर्चना की जाति है | ईशत हास्य से ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी भगवती कुष्मामान्डा नाम से लोक प्रसिद्ध हुई |इनकी कांति और आभा सूर्य के समान है |कुष्मामान्डा देवी ने ही sristi का विस्तार किया | इनका यह स्वरुप अन्नपूर्णा का है |प्रकृती का दोहन और लोगो को भूख-प्यास से व्याकुल देखकर माँ ने शाकुंभरी का रूप धरा |शाक से धरती को पल्लवित किया और शताक्षी बनकर असुरो का सन्हार किया |कुष्मामान्डा देवी की आराधना के बिना जप और ध्यान संपूर्ण नही होते |नवरात्र के तीसरे दिन shaak-सब्जी और अन्न का दान फलदाई है |माता के इस रूप मे तृप्ति और तुष्टि दोनो है |

माँ का आराधना मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषू तुष्टि रुपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: |



5.पंचम स्कन्धमाता
    देवी स्कन्धमाता कार्तिकेय और गणेश जी की माता है |गणेश जी मानसपुत्र है और कार्तिकेय जी गर्भ से उत्तपन्न हुये|तारकासुर का बध करने के लिये देवी पार्वती और शंकर जी ने विवाह किया |उनसे कार्तिकेय उत्तपन्न हुये और तारकासुर का अंत हुआ |स्कंद कुमार की माँ होने के कारण ही पार्वती स्कन्दमाता कहि गयी|कार्तिकेय को ही स्कन्द कुमार भी कहा जाता है |भगवान शंकर और पार्वती के मान्गलिक मिलन को सनातन संस्कृति मे परिणय परंपरा का आरंभ माना गया |नारी शक्ति इसी का ध्योतक है |आदि शक्ति माँ जगदंबा ने अपने इस चरित्र के माध्यम से पुत्र की व्याख्या की hai|पुत्र वह जो आग्याकारी हो |गणेश जी उनके मानसपुत्र थे,लेकिन आग्याकारी होने के कारण वह देवताओ मे अग्रनी रहे|

माँ का आराधना मंत्र :
या देवी सर्वभूतेषू मात्री रुपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:|


6.षष्ठम माता कात्यायनी
   एक बार कात्यायन ऋषि ने तप करके देवी से वरदान माँगाकि आप मेरे कुल मे पुत्री के रुप मे जन्म ले|देवी को अजन्मा माना गया है |कात्यायन ऋषि की प्रसन्न्ता के लिये देवी ने अजन्मा स्वरुप त्याग कर ऋषि कुल मे जन्म लिया |इसी कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा|सामान्यत: पुत्री का गोत्रा पिता से अधिक ,पति के गोत्र से चलता है ,लेकिन यहा तो देवी सदा -सर्वदा के लिये पिता के गोत्र से जुड़ गई|नवरात्र के छठे दिन साधक माँ के इसी रुप की पूजा-अर्चना करते है |इस रात्री जागरण और जप करने से साधक को सहज ही माता कात्यायनी की कृपा का लाभ मिलता है |

माँ का आराधना मंत्र :
या देवी सर्वभूतेषू स्मृती रुपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: |


7.सप्तम माता कालरात्री
    माँ दुर्गा की सातवी शक्ति कालरात्री के नाम से जानी जाती है |दुर्गापूजा के सातवे दिन माँ कालरात्री की उपासना का विधान है |इस दिन साधक का मन 'सहस्त्रार' चक्र मे स्थित रहता है |इसके लिये ब्रह्मान्ड़ की समस्त सिद्धियो का द्वार खुलने लगते है |माँ कालरात्री का स्वरुप देखने मे अत्यन्त भयानक है,लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली है |इसी कारण इनका नाम ' शुभंकारी ' भी है|अत: इनसे भक्तो को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवस्यकता नही है |

माँ कालरात्री दुष्टो का विनाश करने वाली है |दानव,दैत्य,राक्षस भूत ,प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते है |ये ग्रह बाधाओ को भी दुर रखने वाली है|इनके उपासको को अग्नि-भय ,जल-भय ,जन्तू-भय ,शत्रु-भय ,रात्री-भय आदि कभी नही होते |इनकी कृपा से वह सर्वथा भय मुक्त हो जाते है |



8.अष्टम माता महागौरी
 सौभाग्य ,धन-सम्पदा ,सौंदर्य और नारी सुलभ गुणो की अधिष्ठात्री देवी महागौरी है|नवरात्र व्रत के आठवे दिन साधक देवी के इसी रूप की पूजा करते है |अठारह गुणो की प्रतीक महागौरी अष्टाँग योग की अधिठाष्त्री भी है|वह धन-धान्य ,गृहस्थी,सुख और शांति प्रदात्री है|महागौरी इसी का प्रतीक है|भगवान शिव ने काली जी पर गंगाजल छिणका तो वह महागौरी हो गई|महागौरी श्रीष्टि का आधार है| महागौरी ही अक्षत सुहाग की प्रतीक देवी है|देवी के इस रूप की पूजा-अर्चना विवाहिता महिला को अखन्ड सौभाग्य का फल प्रदान करती है|

माँ की पूजा का श्लोक :
सर्वमन्गल मान्गल्य शिवे सर्वार्थसाधिके शरन्यत्र्यम्बके गौरी नारायनी नमोस्तुते |



9.नवम माता सिद्धिदात्री



  नवरात्र के नवे दिन माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा-अर्चना की जाती है|मार्कन्डेय पुराण के अनुसार अनिमा ,महिमा ,
गरिमा ,लघिमा ,प्राप्ति ,प्रकाम्य,ईशित्व और वशित्व ये आठ प्रकार की सिद्धिया है |जिस साधक ने इनको प्राप्त कर लिया वह सुख-समृद्धि का प्रतीक हो गया | अर्थ पाना कठिन नही है ,अर्थ को सिद्ध करना बड़ा अर्थ रखता है|यह महालक्ष्मी जी का हाइ स्वरुप है|इनकी आराधना के साथ ही नवरात्र व्रत का पारायण होता है|सिद्धिदात्री देवी पूजन के साथ कन्या भोग और यज्ञ का विशेश फल मिलता है|

माँ सिद्धिदात्री जी का आराधना मंत्र :
या देवी सर्वभुतेषू लक्ष्मी रुपेण संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: |

            (जय माता दी)

Friday, September 30, 2016

माता दुर्गा जी के 108 नाम

माँ दुर्गा पार्वती जी का ही स्वरुप है ,जिन्हे ब्राह्मान्ड मे सर्वोच्च व
परमशक्ति माना जाता है.माता भगवती दुर्गा के कुछ प्रमुख 108 रुप है .

  1. सती 
  2. आशावादी 
  3. भवप्रीता 
  4. भवानी 
  5. भवमोचनी 
  6. आर्या 
  7. दुर्गा 
  8. जया 
  9. aaddhya 
  10. त्रिनेत्र
  11. शुलधारिनी
  12. पिनाकधारिनी
  13. चित्रा
  14. चन्डघंटा
  15. माहातपा 
  16. मन
  17. बुद्धि 
  18. अहंकारा
  19. चित्तरुपा 
  20. चिता 
  21. चिती
  22. सर्वमन्त्रमयी
  23. सत्ता 
  24. सत्यानन्दस्वरुपिडी
  25. अनन्ता
  26. भाविनी 
  27. भाव्या 
  28. भव्या 
  29. अभव्या 
  30. सदागती 
  31. शाम्भवी 
  32. देवमाता 
  33. चिन्ता
  34. रत्नप्रिया 
  35. सर्वविद्या 
  36. दक्षकन्या 
  37. दक्षयग्यविनाशिनी 
  38. अपर्णा
  39. अनेकवर्णा
  40. पाटला
  41. पाटलावती
  42. पट्टाम्बरपरिधाना
  43. कलामंजीरारंजिनी 
  44. अमेय
  45. विक्रमा 
  46. क्रुश
  47. सुन्दरी
  48. सुरसुन्दरी 
  49. वनदुर्गा 
  50. मातगी 
  51. मातन्गमुनिपुजिता 
  52. ब्राह्मी 
  53. माहेश्वरी 
  54. इन्द्री
  55. कौमारी
  56. वैश्नवी
  57. चामुंडा 
  58. वाराही 
  59. लक्ष्मी 
  60. पुरुषाकृती
  61. विमिलौत्कार्शिनी
  62. ग्याना
  63. क्रिया 
  64. नित्या 
  65. बुद्धिदा 
  66. बहुला
  67. बहुलप्रेमा
  68. सर्ववाहनवाहना
  69. निशुम्भशुम्भहननी 
  70. महिषासुरमर्दिनी
  71. मधुकैटभहन्त्री
  72. चन्ड़मुन्ड़विनाशिनी
  73. सर्वासुरविनाशा
  74. सर्वदानघातिनी 
  75. सर्वशास्त्रमयी
  76. सत्या 
  77. सर्वास्त्रधारिडी
  78. अनेकशस्त्रहस्ता
  79. अनेकास्त्रधारिनी
  80. कुमारी 
  81. एककन्या
  82. कैशोरी 
  83. युवती 
  84. यति
  85. अप्रोढा
  86. प्रोढा
  87. वृद्धमाता
  88. बलप्रदा
  89. महोदरी
  90. मुक्तकेशी 
  91. घोररुपा 
  92. महाबला
  93. अग्निज्वला 
  94. रौद्रमुखी 
  95. कालरात्री 
  96. तपस्विनी 
  97. नारायनी
  98. भद्रकाली 
  99. विश्नुमाया
  100. जलोदरी 
  101. शिवदुती 
  102. करली 
  103. vimlaa
  104. परमेश्वरी
  105. कात्यायनी 
  106. सावित्री 
  107. प्रत्यक्षा 
  108. ब्राह्मवादिनी 
         
     
    प्रेम से बोलो जय माता दी 

Truth



      Ek talwaar ki keemat hoti hai uske dhaar se,
      Manusya ki keemat hoti hai uske bevhaar se.

Increase your knowledge

  1. भारत मे पहिला प्रिन्टिंग  प्रेस गोवा मे पुर्तगालिओ द्वारा 16वी शताब्दी के अंतिम चरण मे खोला गया था.
  2. कर्नम मलेश्वरी पहली भारतीय महिला है जिन्होने ओलम्पीक पदक जीता है.
  3. हमारा राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ मे स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है.
  4. लाल कुर्ती नामक सेना का गठन गैरिबल्डी ने किया था.
  5. सूर्य उर्जा का  स्रोत ( अधिकतम प्रभावी ) है .
  6. पृथ्वी को सूर्य की ultraviolete किरणो से ओज़ोन परत बचाती है .
  7. हिंदी के साहित्यकार राजा शिवप्रसाद ने अपना उपनाम ' सितारे हिंद ' रखा था.
  8. शुक्र ग्रह को "सुबह का तारा" और "शाम का तारा" कहा जाता है .
  9. शीशा (glass) जैविक रुप से नष्ट नही होता .
  10. गांधी जी के 'राजनैतिक गुरू ' गोपाल कृष्ण गोखले थे.
  11. 1981की जनगड़ना के अनुसार मुंबई मे 80% लोग एक कमरे मि गुजारा करते थे.
  12. 20वी सदी के आरंभ मे भारत की कुल जन्संख्या मे से सिर्फ 11% लोग ही शहर मे रह रहे थे.
  13. जापान मे सबसे पहले छपने वाली किताब का नाम 'Diamond sutra' था ,जो बौद्ध धर्म से संबंधित थी,ये 868ई . के लगभग छापी गयी थी.
  14. प्राचीन भारत मे पुस्तके लिखकर फिर हाथ से चित्रकारी द्वारा  सजाकर तैयार की जाती थी.
  15. 18वी शताब्दी तक भारत और चीन विश्व के सबसे सम्पन्न देश थे.
  16. इंग्लैंड मे सबसे पहले कारखाने 1930 के दशक मे खुले थे.
  17. भारत मे पहली कपास मील 1854 ई. मे खोली गई थी.

Thursday, September 29, 2016

Interesting

You could remove the stomach,
the stolen,one kidney, 80% of theintestines and
75 % of the liver and still be able to survive

Shayari

Kyo marte ho bewafa sanam ke liye,
Do gaj zameen milegi dafan ke liye,
Marna hai to maro mitti aur watan ke liye,
Haseena bhi dupatta utaar degi kafan ke liye.

Wednesday, September 28, 2016

Ye aansu bhi kambakht...........

Ye aansu bhi kambakht ek paresaani hai,
Khusi aur gam dono ki nisaani hai,
Samjhanewaalo ke liye anmol hai,
Na samajhne waalo ke liye paani hai.

Sirfa esaaro se hoti mohabbat .......

Sirf esaaro se hoti mohabbat agar,
In alfaajo ki khubsurti kaun deta,
Bas pathar bankar rah jata Taj mahal,
Use ishq ki pehchan kaun deta.

Har kamyaabi me aapka naam hoga...

Har kamyaabi me aapka naam hoga,
Aapka har kadam duniya ka salaam hoga,
Muskilo ka saamna himmat se karna,
Duwa  hai ek din waqt bhi aapka gulaam hoga.

Tuesday, September 27, 2016

Akela sa mehsus karo jab bhi judai me...

Akela sa mehsus karo jab bhi tanhai me,
Yaad aaye meri jab bhi judai me,
Mehasus kar lena tumhare hi paas hu mai,
Jab chahe dekh lena apni parchhai me.

Friday, September 9, 2016

Shiv Chalisa

  श्रावन मास के इस पावन अवसर पर पढ़े शिव चालीसा   श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥   जय गिरिज...