रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था।रावण एक बार भगवान शिव की तपस्या कर रहा था। तपस्या करते समय रावण ने अपने सिर की बली भगवान शिव को दे दी। रावण का प्रेम भाव और भक्ति देख भगवान शिव बहुत परसन्न हुए और रावण को उसका सिर वापस कर दिया । रावण ने फ़िर अपने सिर की बलि दे दी ।शिवजी ने फिर उसका सिर वापस कर दिया । ऐसे ही रावण बार-बार अपने सिर की बलि देता गया और शिवजी हर बार उसका सिर वापस कर देते। ऐसा रावण ने 10बार किया ये देख भगवान शिव रावण की भक्ति से बहुत परसन्न हुऐ।और रावण को 10सिर वापस कर दिया।इस तरह रावण को दस सिर मिले और वह दसानन्द कहलाया।
Wednesday, October 19, 2016
रावण के दस सिर का राज
रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था।रावण एक बार भगवान शिव की तपस्या कर रहा था। तपस्या करते समय रावण ने अपने सिर की बली भगवान शिव को दे दी। रावण का प्रेम भाव और भक्ति देख भगवान शिव बहुत परसन्न हुए और रावण को उसका सिर वापस कर दिया । रावण ने फ़िर अपने सिर की बलि दे दी ।शिवजी ने फिर उसका सिर वापस कर दिया । ऐसे ही रावण बार-बार अपने सिर की बलि देता गया और शिवजी हर बार उसका सिर वापस कर देते। ऐसा रावण ने 10बार किया ये देख भगवान शिव रावण की भक्ति से बहुत परसन्न हुऐ।और रावण को 10सिर वापस कर दिया।इस तरह रावण को दस सिर मिले और वह दसानन्द कहलाया।
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