Friday, February 24, 2017

देवो के देव महादेव..........


त्रिदेवों में से एक देव हैं शिव, भगवान शिव को देवों के देव महादेव भी कहा जाता है। भगवान शिव को कई और नामों से भी पुकारा जाता है जैसे- महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ।

तंत्र साधना में भगवान शिव को भैरव के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं भगवान शिव, वेद में इन्हें रुद्र के नाम से भी जाना जाता है।
शिव इंसान की चेतना के अन्तर्यामी हैं यानी इंसान के मन की बात पढ़ने वाले हैं। इनकी अर्धांग्नि यानि देवी शक्ति को माता पार्वती के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं और एक पुत्री अशोक सुंदरी भी हैं।


शिव जी को आपने अधिकतर योग की मुद्रा में ही देखा होगा। लेकिन उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव जी के गले में हमेशा नाग देवता विराजमान रहते हैं और इनके हाथों में डमरू और त्रिशूल दिखाई देता हैं। भगवान सदाशिव परम ब्रह्म है। अर्वाचीन और प्राचीन विद्वान इन्हीं को ईश्वर कहते हैं।
अकेले रहकर अपनी इच्छाम से सभी ओर विचरण करने वाले सदाशिव ने अपने शरीर से देवी शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने अंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी.देवी शक्ति को पार्वती के रूप में जाना गया और भगवान शिव को अर्धनारिश्वबर के रूप में। वहीं देवी शक्ति को प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित माना गया.श्रीमद् देवी महापुराण के मुताबिक, भगवान शिव के पिता के लिए भी एक कथा है।


देवी महापुराण के मुताबिक, एक बार जब नारदजी ने अपने पिता ब्रह्माजी से सवाल किया कि इस सृष्टि का निर्माण किसने किया? आपने, भगवान विष्णु ने या फिर भगवान शिव ने? आप तीनों को किसने जन्म दिया है यानी आपके तीनों के माता-पिता कौन हैं?तब ब्रह्मा जी ने नारदजी से त्रिदेवों के जन्म की गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि देवी दुर्गा और शिव स्वरुप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई है।यानि प्रकृति स्वरुप दुर्गा ही माता हैं और ब्रह्म यानि काल-सदाशिव पिता हैं।
एक बार श्री ब्रह्मा जी और श्री विष्णु जी का इस बात पर झगड़ा हो गया कि ब्रह्मा जी ने कहा मैं तेरा पिता हूँ क्योंकि यह सृष्टिी मुझसे उत्पन्न हुई है, मैं प्रजापिता हूँ। इस पर विष्णु जी ने कहा कि मैं तेरा पिता हूँ, तू मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुआ है।
सदाशिव ने विष्णु जी और ब्रह्मा जी के बीच आकर कहा, हे पुत्रों! मैंने तुमको जगत की उत्पत्ति और स्थिति रूपी दो कार्य दिए हैं, इसी प्रकार मैंने शंकर और रूद्र को दो कार्य संहार और तिरोगति दिए हैं, मुझे वेदों में ब्रह्म कहा है. मेरे पाँच मुख हैं, एक मुख से अकार (अ), दूसरे मुख से उकार (उ), तीसरे मुख से मुकार , चौथे मुख से बिन्दु (.) तथा पाँचवे मुख से नाद (शब्द) प्रकट हुए हैं, उन्हीं पाँच अववयों से एकीभूत होकर एक अक्षर ओम् (ऊँ) बना है, यह मेरा मूल मन्त्र है। उपरोक्त शिव महापुराण के प्रकरण से सिद्ध हुआ कि श्री शकंर जी की माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) है तथा पिता सदाशिव अर्थात् “काल ब्रह्म” है।


Wednesday, February 22, 2017

जानिये हनुमान चालीसा पढ़ने के फाएदे

जो भी इंसान हनुमान चालीसा को रात में पढे़गा उसे हनुमान जी स्‍वंय आ कर सुरक्षा प्रदान करेगें।

हनुमान चालीसा को महान कवि तुलसीदास जी ने लिखा था। वह भी भगवान राम के बड़े भक्त थे और हनुमान जी को बहुत मानते थे। इसमें 40 छंद होते हैं जिसके कारण इसको चालीसा कहा जाता है। यदि कोई भी इसका पाठ करता है तो उसे चालीसा पाठ बोला जाता है। बचपन से ही हमें सिखाया गया है कि अगर कभी भी मन अशांत लगे या फिर किसी चीज से डर लगे तो, हनुमान चालीसा पढ़ो। ऐसा करने से मन शांत होता है और डर भी नहीं लगता। हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बड़ा ही महत्व है। हनुमान चालीसा पढ़ने से शनि ग्रह और साढे़ साती का प्रभाव कम होता है।
हनुमान जी राम जी के परम भक्त हुए हैं। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर हनुमान जी जैसी सेवा-भक्ति विद्यमान है। हनुमान-चालीसा एक ऐसी कृति है, जो हनुमान जी के माध्यम से व्यक्ति को उसके अंदर विद्यमान गुणों का बोध कराती है। इसके पाठ और मनन करने से बल बुद्धि जागृत होती है। हनुमान-चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति खुद अपनी शक्ति, भक्ति और कर्तव्यों का आंकलन कर सकता है।हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का महत्व बहुत अधिक है। आइए जानते है हनुमान चालीसा के खास महत्वों के बारे में:

हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान के जीवन का सार छुपा है जिसे पढ़ने से जीवन में प्रेरणा मिलती है। यह सिर्फ तुलसीदास जी के विचार नहीं बल्कि उनका अटूट विश्वास है। उनके इसी विश्वास के कारण औरेंगजेब ने उन्हे बंदी बना लिया था। वहीं बैठकर उन्होने हनुमान चालीसा लिखा था।
कहते है हनुमान चालीसा को डर, भय, संकट या विपत्ति आने पर पढ़ने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
अगर किसी व्यक्ति पर शनि का संकट छाया है तो उस व्यक्ति का हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। इसस उसके जीवन में शांति आती है।
अगर किसी व्यक्ति को बुरी शक्तियां परेशान करती हैं तो उसे चालीसा पढ़ने से मुक्ति मिल जाती है।
कोई भी अपराध करने पर अगर आप ग्लानि महसूस करते हैं और क्षमा मांगना चाहते है तो चालीसा का पाठ करें।
भगवान गणेश की तरह हनुमान जी भी कष्ट हरते हैं। ऐसे में हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी लाभ मिलता है।
हनुमान चालीसा पढ़ने से मन शांत होता है तनाव मुक्त हो जाता है।
सुरक्षित यात्रा के लिए हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ें। इससे लाभ मिलता है और भय नहीं लगता है।
किसी भी प्रकार की इच्छा होने पर भगवन हनुमान के चालीसा का पाठ पढ़ने से लाभ मिलता है।
हनुमान चालीसा के पाठ से दैवीय शक्ति मिलती है। इससे सुकुन मिलता है।
हनुमान जी बुद्धि और बल के ईश्वर हैं। उनका पाठ करने से यह दोनों ही मिलते हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से कुटिल से कुटिल व्यक्ति का मन भी अच्छा हो जाता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से एकता की भावना में विकास होता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से नकरात्मक भावनाएं दूर हो जाती है और मन में सकारात्मकता आती है।
बुरी आत्माओं को भगाए: हनुमान जी अत्यंत बलशाली थे और वह किसी से नहीं डरते थे। हनुमान जी को भगवान माना जाता है और वे हर बुरी आत्माओं का नाश कर के लोगों को उससे मुक्ती दिलाते हैं। जिन लोगों को रात मे डर लगता है या फिर डरावने विचार मन में आते रहते हैं, उन्हें रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये।
हनुमान चालीसा पढ़ कर आप शनि देव को खुश कर सकते हैं और साढे साती का प्रभाव कम करने में सफल हो सकते हैं। कहानी के मुताबिक हनुमान जी ने शनी देव की जान की रक्षा की थी, और फिर शनि देव ने खुश हो कर यह बोला था कि वह आज के बाद से किसी भी हनुमान भक्त का कोई नुकसान नहीं करेगें।
हम कभी ना कभी जान बूझ कर या फिर अनजाने में ही गल्तियां कर बैठते हैं। लेकिन आप उसकी माफी हनुमान चालीसा पढ़ कर मांग सकते हैं। रात के समय हनुमान चालीसा को 8 बार पढ़ने से आप सभी प्रकार के पाप से मुक्त हो सकते हैं।


   

Shiv Chalisa

  श्रावन मास के इस पावन अवसर पर पढ़े शिव चालीसा   श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥   जय गिरिज...